Sai SatCharitra

Monday 21 April 2014

मैं बिरहणि बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली॥

मैं बिरहणि बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली॥
बिरहणी बैठी रंगमहल में, मोतियन की लड़ पोवै|
इक बिहरणि हम ऐसी देखी, अंसुवन की माला पोवै॥
तारा गिण गिण रैण बिहानी , सुख की घड़ी कब आवै।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, जब मोहि दरस दिखावै॥
[photo courtesy Google]