"ॐ"
केवल एक पवित्र ध्वनि ही नहीं, अपितु अनंत शक्ति का प्रतीक है।
ॐ अर्थात् ओउम् तीन अक्षरों से बना है, जो सर्व विदित है। अ उ म् ।
"अ" का अर्थ है आर्विभाव या उत्पन्न होना , "उ" का तात्पर्य हैउठना, उड़ना अर्थात् विकास, "म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात्"ब्रह्मलीन" हो जाना । ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति औरपूरी सृष्टि का द्योतक है।
ॐ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों का प्रदायक है। मात्र ॐ का जप कर कई साधकों ने अपने उद्देश्य की प्राप्ति कर ली।
कोशीत की ऋषि निस्संतान थे, संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने सूर्य का ध्यान कर ॐ का जाप किया तो उन्हे पुत्र प्राप्ति हो गई। गोपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में उल्लेख है कि जो "कुश" के आसन पर पूर्व की ओर मुख कर एक हज़ार बार ॐ रूपी मंत्र का जाप करता है, उसके सब कार्य सिद्ध हो जाते हैं।
उच्चारण की विधि : --
प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकारध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं।
इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं।
ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरेबोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते है।
ॐ के उच्चारण से शारीरिक लाभ --
✏1. अनेक बार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।
✏2. अगर आपको घबराहटया अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।
✏3. यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
✏4. यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
✏5. इससे पाचन शक्ति तेज़ होती है।
✏6. इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
✏7. थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
✏8. नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी।
✏9. कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।
✏10. ॐ के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।
✏11. ॐ के दूसरे शब्द का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो कि थायरायड ग्रंथी पर प्रभाव डालता है।