Sai SatCharitra

Sunday, 10 December 2017

Quote of the day

तुम अकेले नहीं रह सकते। तुम्हें कोई दूसरा चाहिए। अकेले में तुम डरते हो। कोई दूसरा, तब तुम निश्रित मालूम पड़ते हो; क्यों? दूसरे की मौजूदगी से आश्वासन मिलता है—दुख में, सुख में, कोई साथी है। जीवन में, मृत्यु में, कोई साथी है। लेकिन अकेलापन स्वभाव है। और जिस व्यक्ति ने यह अनुभव कर लिया कि आत्मा ही बस मेरी है, उसने अपने अकेलेपन को अनुभव कर लिया।भागने की कोई भी जरूरत नहीं है, तो झंझट पीछे चली जायेगी। तुम जहां हो, वहीं रहना; रत्तीभर भी बाहर कोई फर्क करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन भीतर तुम अकेले हो जाना। भीतर तुम कैवल्य को अनुभव करना कि मैं अकेला हूं; कोई संगी—साथी नहीं है। और यह तुम दोहराना मत, क्योंकि दोहराने की कोई जरूरत नहीं कि रोज सुबह बैठकर तुम दोहराओ कि मैं अकेला हूं कोई संगी—साथी नहीं है। इससे कुछ भी न होगा। यह दोहराना तो सिर्फ यही बताएगा कि तुम्हें अभी खयाल नहीं हुआ। इसे समझना....

~ओशो~