Saturday, 5 July 2014

Om Kriyababajee namah

महावतार बाबाजी मेरे शक्तिशाली सर्वभूत गुरू देवा हैं, मुझे ताकत देने वाले, सच्चाई की और ले जाने का रास्ता दिखाने वाले,मेरे शिव भोले बाबा की और जाने का रास्ता देने वाले खुद ही मेरे शिव हैं। मेरे बाबाजी बुद्धिमता की हद, शब्दों और विचारों से परे हैं। वे हर किसी प्रकार के आध्यात्मिक विचारों और अनुभवों से भी परे हैं। वे निराकार, कायाहीन हैं। वे सिर्फ सन्देश देने के लिए और मार्गदर्शन के लिए 'काया' अपना लेते हैं।स्वंय ही वो भोले शिव बाबा हैं मेरे... _/\_ ॐ क्रिया बाबाजी नमः ॐ _/\_

गुरुमंत्र

ॐ क्रिया बाबाजी नमः ॐ
(बाबाजी के क्रिया योग का गुरुमंत्र)

ॐ    प्रणव, यह प्राणों में व्याप्त होने वाला ब्रह्माण्ड का अदिनाद है |
क्रिया    अपने सभी कर्मों को अपनी चेतना की विषय वस्तु मान कर सजगतापूर्वक किया गया कर्म ही क्रिया है | यह क्रिया योगियों के लिए साधन भी है और साध्य भी |
बाबाजी    क्रिया योग परम्परा के गुरु हैं जिन्होंने इस प्राचीन शिक्षा का संश्लेषण कर इसे आधुनिक काल में प्रवर्तित किया | परमहंस योगानन्द की पुस्तक "योगी कथामृत" में इन्हीं बाबाजी का उल्लेख है |
नमः    अभिवादन एवं आवाहन |
ॐ   अन्तःकरण में गुंजायमान आदिनाद |
ॐ क्रिया बाबाजी नमः ॐ, यह गुरुमंत्र हिमालय के सिद्ध क्रिया बाबाजी नागराज से तारतम्य स्थापित कर हमें उनकी कृपा से जोड़ने की शक्ति रखता है |इस मंत्र के माध्यम से वह अपने भक्तों को दर्शन देते हैं | इस मंत्र के जप से सहस्रार चक्र में अवस्थित परम चेतना अर्थात अन्तःगुरु से सान्निध्य हो जाता है | इस मंत्र में चैतन्य ऊर्जा है | इस मंत्र में शक्ति है क्योंकि मंत्र से ही गुरु अपनी चैतन्य ऊर्जा अपने शिष्य में प्रविष्ट करते हैं | मंत्र के मूल में गुरु के शब्द हैं और मंत्र तो स्वयं साक्षात् गुरु हैं |

_/\_ ॐ क्रिया
बाबाजी नमः
ॐ _/\_

The Northern Himalayan crags near Badrinarayan are still blessed by the living presence of Babaji, guru of Lahiri Mahasaya. The secluded master has retained his physical form for centuries, perhaps for millenniums. The deathless Babaji is an avatara. This Sanskrit word means "descent"; its roots are ava, "down," and tri, "to pass." In the Hindu scriptures, avatara signifies the descent of Divinity into flesh."Babaji's spiritual state is beyond human comprehension," Sri Yukteswar explained to me[autobiography of a yogi] "The dwarfed vision of men cannot pierce to his transcendental star. One attempts in vain even to picture the avatar's attainment. It is inconceivable.The crux seems to be that Babaji looks much as he himself wants to, appearing here and there, now and then. He often walks about unnoticed like a common man:
A disciple of Yukteswar told that once when she was sitting in Lahiri Mahasaya's company, "a simply dressed ordinary looking young man holding a staff" arrived. It was Babaji. Pranabananda . . . was sitting one morning in Benares with his Guru when he saw an ordinary looking man coming from the Ganges and entering Lahiri Mahasaya's home . . . Babaji . . . [Yukteswar] asked about Babaji's age and came to find out that it was almost 500 years.All we know is that he is said to be very old. Different sources give different ages.
He may look like anyone, like a shape-shifter. He may look like you and me.
And he is so secretive that very few actually see him - fewer still may recognise him if they chance meet him.
Our sources agree that the sadhu initiated Lahiri Mahasaya, also called Lahiri Baba (1828-95), into very secret kriya yoga on Drungiri Hill near Ranikhet in the Himalayas in 1861, and that Lahiri Baba initiated about 5000 persons. Publicly known kriya teachings branch out from here.