Wednesday 26 November 2014

कर दे मुझको मुझसे ही जुदा....


कुन फाया कुन' कुरान शरीफया निजाममुद्दीन औलिया, या निजाममुद्दीन सलका

कदम बढ़ा ले, हदों को मिटा ले

आजा खालीपन में पी का घर तेरा,

तेरे बिन खाली आजा, खालीपन में

तेरे बिन खाली आजा, खालीपन में

रंगरेजा

रंगरेजा

रंगरेजा

हो रंगरेजा….

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

फाया कुन,

फाया कुन, फाया कुन, ,फाया कुन,

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

फाया कुन,

फाया कुन, फाया कुन, ,फाया कुन,

जब कंही पे कुछ नहीं

भी नहीं था,

वही था, वही था

वही था, वही था

जब कंही पे कुछ नहीं

भी नहीं था,

वही था, वही था

वही था, वही था

वोह जो मुझ में समाया

वोह जो तुझ में समाया

मौला वही वही माया

वोह जो मुझ में समाया

वोह जो तुझ में समाया

मौला वही वही माया

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

सदकउल्लाह अल्लीउम अज़ीम

रंगरेजा रंग मेरा तन मेरा मन,

ले ले रंगाई चाहे तन चाहे मन,

रंगरेजा रंग मेरा तन मेरा मन

ले ले रंगाई चाहे तन चाहे मन,

सजरा सवेरा मेरा तन बरसे

कजरा अंधेरा तेरी जलती लौ

सजरा सवेरा मेरा तन बरसे

कजरा अंधेरा तेरी जलती लौ

कटरा मिले तो तेरे दर पर से।

ओ मौला….

मौला…मौला….

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

फाया कुन,

फाया कुन, फाया कुन, ,फाया कुन,

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

फाया कुन,

फाया कुन, फाया कुन, ,फाया कुन,

जब कंही पे कुछ नहीं

भी नहीं था,

वही था, वही था

वही था, वही था

जब कंही पे कुछ नहीं

भी नहीं था,

वही था, वही था

वही था, वही था

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

सदकउल्लाह अल्लीउम अज़ीम

सदक रसुलहम नबी यूनकरीम

सलल्लाहु अलाही वसललम, सलल्लाहु अलाही वसललम,

ओ मुझपे करम सरकार तेरा,

अरज तुझे, करदे मुझे, मुझसे ही रिहा,

अब मुझको भी हो, दीदार मेरा

करदे मुझे, मुझसे ही रिहा

मुझसे ही रिहा……….

मन के मेरे ये भरम,

कुछ मेरे ये करम,

लेके चला है कहाँ,

मैं तो जानू ही ना,

तू ही मुझ में समाया,

कहाँ लेके मुझे आया,

मैं हूँ तुझ में समाया

तेरे पीछे चला आया,

तेरे ही मैं एक साया

तूने मुझको बनाया

मैं तो जग को ना भाया

तूने गले से लगाया

अब तू ही है खुदाया

सच तू ही है, खुदाया

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

फाया कुन,

फाया कुन, फाया कुन, ,फाया कुन,

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

फाया कुन,

फाया कुन, फाया कुन, ,फाया कुन,

जब कंही पे कुछ नहीं

भी नहीं था,

वही था, वही था

वही था, वही था

जब कंही पे कुछ नहीं

भी नहीं था,

वही था, वही था

वही था, वही था

कुन फाया, कुन

कुन फाया, कुन

सदकउल्लाह अल्लीउम अज़ीम

सदक रसुलहम नबी यूनकरीम

सलल्लाहु अलाही वसललम, सलल्लाहु अलाही वसललम की एक आयत 'यासीन शरीफ' से लिया गया है जिसका मतलब है जब दुनिया में कुछ नहीं था तो खुदा ने दुनिया से कहा हो जा और वो हो गयी यानि जब कुछ नहीं था तब भी खुदा था और जब कुछ नहीं होगा तब भी खुदा होगा........या मौला हमे नेकी की राह पर चलने की तौफिक दे.......आमीन.....