Monday, 21 April 2014

ॐ साईं राम


"प्रेम बिना भजन, बिना अर्थ समझे ग्रंथो का उच्चारण और पठन - पाठन किस काम का? और बिना श्रद्धाभाव के देवता कहाँ ? क्या इनके अभाव में सभी प्रयत्न  सारहीन और व्यर्थ नहीं होते" ?