Friday 3 August 2018

सुविचार


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जिस दिन हम ये समझ जायेंगे कि,सामने वाला गलत नहीं है सिर्फ उसकी सोच हमसे अलग है,उस दिन जीवन से दुःख समाप्त हो जायेंगे । "बड़प्पन" वह गुण है जो पद या उम्र से नहीं, "संस्कारों" से प्राप्त होता है।  

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भगवान ने सभी को धनुष के आकार के होंठ दिये है,मगर इनसे शब्दों के बाण ऐसे छोड़िये,जो सामने वाले के दिल को छू जाये,ना की दिल को छेद जाये..

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हम जिसे सफलता समझ बैठे है, वह सफलता है नहीं, बस दिखाई पड़ती , हर चीज़ जो दिखाई पड़ती है, सत्य से बहुत परे होती है। हम उसे सफल आदमी समझ लेते है, जो आर्थिक रूप से सम्पन्न है, या जो बहुत पढ़ा लिखा है, या जो ऊँचे पदों पर आसीन है, जिसके चारों ओर लोगों की भीड़ है। सफलता का ये पैमाना ग़लत है, ऐसे आदमी के पास स्वयं के जीने के लिए एक भी क्षण नहीं होता, वह कभी अपना जीवन नहीं जी पाता, उसकी सारी चेतना दूसरों को दिखाने गुज़र जाती है, वह वास्तविकता से बहुत दूर होता है, उसे स्वयं का अपनी नज़रों में कोई सम्मान नहीं होता, उसका पूरा जीवन प्रेम शून्य होता है। सफल वह है ,जिसके जीवन में प्रेम है, करूणा है, जो स्वयं का सम्मान करता है, जिसे दूसरों के सम्मान की तनिक भी आकांक्षा नहीं है। ऐसा व्यक्ति कहीं भी हो, चाहे ऊँचे पदों पर या नीचे पदों पर, चाहे आर्थिक रूप से अति सम्पन्न हो या न हो, चाहे वो उच्च शिक्षित हो या सामान्य , बस यही व्यक्ति सफल है।

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चावल अगर कुमकुम के साथ मिल जाऐं तो किसी के मस्तक तक पहुंच जाते हैं !और दाल के साथ मिल जाऐं तो खिचड़ी बन जाते है .!!अर्थात .....हम कौन हैं उसके महत्व से ज्यादा......किनकी संगत में हैं , यह बहुत महत्वपूर्ण है......!!!

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